तन्हाई

किसीने हमसे कहा क्या पाया ऐसे खुद को खोकर
बेज़ार होकर सड़कों पे बदहवास चल कर
बेसुध होकर गुनगुना कर बेबात खुश होकर

हमने जवाब दिया शायद या वो भी याद नहीं
हमें क्या पता हम चल रहे थे किसी धुन में
हमने तो पहली बार देखी थी अपनी ज़िंदगी
सो पड़ गए हाथ धोकर
माफ करना तुमपर नज़र पड़ी नहीं।

______________________________________

18.05.2020

ख़्वाब के टूटने का दर्द ही अजीब होता है
न झेला जाता है ना बयाँ किया जाता है।
बड़े कश्मकश के हालात होते हैं!
असल होते तो उनकी मैय्यत सजाते
पर बेवजूद को दफ़न करें तो कैसे
टीसती है बस तो वो सच्चाई
जो ख़्वाब ने ज़िंदा कर दिए थे।

Comments