एक आस
कभी आवाज़ ने जवाब दिया तो कभी दिमाग ने
सोच के चले थे मोड़ देंगे दुनिया की लहर
रास्ता था लंबा पर सोच थी अडिग
करना ही क्या था, बस वही।
सोच के चले थे मोड़ देंगे दुनिया की लहर
रास्ता था लंबा पर सोच थी अडिग
करना ही क्या था, बस वही।
लगा लोग सुन लेंगे शब्दों की गहराई
सब चलेंगें एक साथ एक ही डगर
कुछ गलत हुआ तो होगी समझ बूझ की आस
पर हुआ वो जो कभी सोचा नहीं।
सब चलेंगें एक साथ एक ही डगर
कुछ गलत हुआ तो होगी समझ बूझ की आस
पर हुआ वो जो कभी सोचा नहीं।
सब की थी अपनी कहानी और अपने निष्कर्ष
सबको थी चाह सुनाने की, नहीं थी तो सुनने की समझ
रुक जाओ धीरज रखो बन गयी मेरी आवाज़
पर धीमी होती मेरी आवाज़ जाती रही।
सबको थी चाह सुनाने की, नहीं थी तो सुनने की समझ
रुक जाओ धीरज रखो बन गयी मेरी आवाज़
पर धीमी होती मेरी आवाज़ जाती रही।
रिश्तों के ऐसे भँवर में ज्यों लगा रो लें ज़रा
रोक लिया इक सोच ने
सब तो हैं अपने इनसे क्या रूठना
कुम्हलाई ऊर्जा भी हँसी और उठ बैठी वहीं।
रोक लिया इक सोच ने
सब तो हैं अपने इनसे क्या रूठना
कुम्हलाई ऊर्जा भी हँसी और उठ बैठी वहीं।
Comments
Post a Comment
Honest Opinion please,