याद

फिर आई याद तुम्हारी, नहीं पहली बार
हवा मुस्कुरायी तो हम भी हंस पड़े
लगा आज भर लें दुनिया अपनी साँसों में
पर याद आये थे वो जो ज़ुबा पे न आ सके

लिखना चाहते थे कलम से सारी हकीकत
डर था कोई पढ़ ले न हमारी कहानी
बहाना ही था पर मर्ज़ की दवा तो हुई
वरना कहाँ आवाज़ की कशिश मानी

लगा हिचकियों से तुम हो न जाओ परेशान
तो समेट लिया उनको तारों के जलसे के साथ
हवा के थपेड़ों ने किए मुझसे सवाल
हवा मुस्कुरायी पर हम ना हंस सके इस बार

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